किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम 2000 की धारा-12 में यह स्पष्ट किया गया है कि विधि विवादित किशोर जमानत पाने का अधिकारी है, लेकिन ऐसी विधि विवादित किशोर को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है जब तक कि यह विश्वास करने का कोई युक्तियुक्त आधार प्रतीत न हो रहा है कि उसकी अवमुक्ति से वह किसी अपराध की संगत में आ जायेगा, किशोर का नैतिक, शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचने की आशंका हो और किशोर की अवमुक्ति न्याय के हितों के प्रतिकूल होगी।