उद्देशिका में भारत के समस्त नागरिकों को प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने का आश्वासन दर्ज है.
12.
क्योंकि संविधान की प्रस्तावना में सबसे पहले सामाजिक और आर्थिक अवसर की समता की बात कही गयी है.
13.
जैसे ” समता ” की परिभाषा ” प्रतिष्ठा और अवसर की समता ” के रूप में की गयी है।
14.
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा
15.
उन्हें प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्रदान करना है तथा व्यक्ति की गरीमा राष्ट् की एकता और अखण्डता और बन्धुता को बढाना है ।
16.
' ' राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से सम्बंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी. ''
17.
16. लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता-(1) राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समता होगी।
18.
उसके विपरीत संविधान भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने का अधिकार प्रदान करता है।
19.
अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित् करने वाली बंधुता
20.
हम रहे नहीं, सामजिक एवं आर्थिक में हमने खाई पैदा कर दी, जनता को जातियों में बॉंट आरक्षण की दीवार खडी कर और विभाजन करने में जुटे, जिससे अवसर की समता स्वतः खत्म हो गई।