ऐसे व्यक्ति के लिए कुछ भी अकार्य (न करने योग्य) नहीं होता है और न ही कहीं अवाच्य (न बोलने योग्य) रह जाता है ।
12.
ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के लोक और पद भी उसे अपने आत्मपद में भासता है, ऐसे अवाच्य पद में वह पहुँच जाता है तथा यह मनुष्य जन्म ही वह जन्म है जिसमें अवाच्य पद प्राप्त करने की क्षमताएँ हैं।
13.
ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के लोक और पद भी उसे अपने आत्मपद में भासता है, ऐसे अवाच्य पद में वह पहुँच जाता है तथा यह मनुष्य जन्म ही वह जन्म है जिसमें अवाच्य पद प्राप्त करने की क्षमताएँ हैं।