उसनें अपने वकील भाई की मदद से राजीव नगर डांडा से लेकर सुसवा नदी तक कई किलोमीटर दायरे में सैकड़ों एकड़ नदी छोर की जमीन पर अवैध बस्ती का निर्माण करवाकर जान बूझकर एक ऐसा कोकस बनाया जिस से वह इन लोगों के बीच गरीबों का मसीहा बनकर रहे।
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क्या यह स्वत: सिद्ध नहीं कि पहले अवैध बस्ती बनने दी गई और फिर वहां मनमाने तरीके से इमारतें खड़ी करने की सुविधा प्रदान की गई? क्या दिल्ली सरकार और केंद्रीय सत्ता को यह साधारण सी बात भी नहीं पता कि इन अवैध कामों के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं?
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आप कहेंगे कि आपका गोल महल ही लोकतन्त्र है इस महल में कभी नहीं होगा कश्मीर की कुचली गई लड़कियों का कोई भी ज़िक्र या कभी बात नहीं होगी शीतल साठे की जिसे सिर्फ इसलिये छिप कर रहना पड़ रहा है क्योंकि उसने जन्म लिया एक अवैध बस्ती की एक झोंपड़ी की एक गरीब छोटी ज़ात की औरत के पेट से.