लगभग 690 फुट की अव्यवहित दूरी तक इन स्तंभों की लगातार पंक्तियां देखकर जिस भव्य तथा अनोखे दृश्य का आंखों को ज्ञान होता है वह अविस्मरणीय है।
12.
यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
13.
यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
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यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
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यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
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यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
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यह दर्शन शास्त्र का नियम है, कायोंत्पत्ति के अव्यवहित पूर्व क्षण में कारण को रहना चाहिए और क्षणिक याग जन्मांतर भावी स्वर्गोत्पत्ति के अव्यवहित पूर्वक्षण में संभव नहीं है।
18.
पृथक कर देती है| अव्यवहित अवयव विश्लेषण पद्धति में इस तरह ‘मौलिक वाक्य ' का पृथक्करण नहीं होता जब कि रूपांतरण विश्लेषण पद्धति में पूरे वाक्य को अलग अलग ‘मौलिक वाक्यों' और उनके ‘अनुलग्नक शब्दों' (
19.
किसी शब्द में अक्षरों की संख्या इस बात पर कतई निर्भर नहीं करती कि उसमें कितनी ध्वनियाँ हैं, बल्कि इस बात पर कि शब्द का उच्चारण कितने आघात या झटके में होता है अर्थात् शब्द में कितनी अव्यवहित ध्वनि इकाइयाँ हैं।
20.
किसी शब्द में अक्षरों की संख्या इस बात पर कतई निर्भर नहीं करती कि उसमें कितनी ध्वनियाँ हैं, बल्कि इस बात पर कि शब्द का उच्चारण कितने आघात या झटके में होता है अर्थात् शब्द में कितनी अव्यवहित ध्वनि इकाइयाँ हैं।