' ब्रम्ह की राह सुझाई देगी' एक अशुद्ध प्रयोग है, 'राह' के साथ 'सुझाई जाती' या 'दिखाई देती' प्रयोग शुद्ध होता.
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कभी-कभी तो उर्दू व्याकरण के नियमों को जाने बिना हिन्दी कवि उर्दू शब्दों का अशुद्ध प्रयोग तक कर लेते हैं।
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बबुनवा के बड़े होने पर बाबू घोर अशुद्ध के अशुद्ध प्रयोग पर टीका टिप्पणी कर उसे दोष के गुण बताने लगे।
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बबुनवा के बड़े होने पर बाबू घोर अशुद्ध के अशुद्ध प्रयोग पर टीका टिप्पणी कर उसे दोष के गुण बताने लगे।
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पिन्हाने, सपन, तिराने (१७४), लंगौटा (१६७), तयारी (२४३), रस्ते (२२३), तयार (२०४) आदि अशुद्ध प्रयोग विराट की संस्कारी हिन्दी के मखमल में टाट का पैबंद लगते हैं.
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उस समय का भारवाहक भी व्याकरण के अशुद्ध प्रयोग पर आपत्ति उठाने में समर्थ था, कुंभकार तथा रजक, बाल, वृद्ध एवं स्त्रियाँ भी काव्यकला से अनभिज्ञ न थी।
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ब्रम्ह की राह सुझाई देगी ' एक अशुद्ध प्रयोग है, ' राह ' के साथ ' सुझाई जाती ' या ' दिखाई देती ' प्रयोग शुद्ध होता.
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आज की कविता मनुष्य द्वारा कहे जाने वाले उस सबसे प्रचलित किन्तु अशुद्ध प्रयोग के मिथ्यात्व को दर्शित करती है जिसमें कहा जाता है कि सूर्य अस्त हो गए..
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उस समय का भारवाहक भी व्याकरण के अशुद्ध प्रयोग पर आपत्ति उठाने में समर्थ था, कुंभकार तथा रजक, बाल, वृद्ध एवं स्त्रियाँ भी काव्यकला से अनभिज्ञ न थी।
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अभिव्यक्ति की अपूर्णता, अस्वाभाविकता, छंद-अनभिज्ञता और शब्दों के ग़लत वज़्नों के दोषों की भांति हिन्दी की कुछेक गज़लों के काफियों और रदीफों के अशुद्ध प्रयोग भी मिलते हैं.