प्रत्येक प्रेमीओं और युगलों को ओशो कि “ संभोग से समाधि की ओर ” और काम विषयक जो-जो दर्शन हैं वह एकसाथ होंकर उसका रसास्वाद ले पायें, अंगीकार कर पाए तो न मालूम अकल्पनीय, अशोचनीय परिवर्तन होंगा जिससे एक नूतन मानव उभरेगा | प्यारी, दुलारी निर्वाणो के लिए अपार प्रेम और करुणा | हे प्यारे ओशो! तुझे नमन |