इसका भय नहीं लेता मन में कि क्या कहेगा कोई, अश्रद्धालु हूं? संदेह करता हूं? शक उठाता हूं, आस्थावान नहीं हूं।
12.
जिस मन्त्र से श्रद्धालु तान्त्रिक चमत्कारी काम कर दिखाता है, उस मन्त्र को अश्रद्धालु साधक चाहे सौ बार बके, कुछ लाभ नहीं होता।
13.
इसलिए मैं नहीं कहता कि आज के युग का आदमी अश्रद्धालु है, मैं इतना ही कहता हूं उसकी श्रद्धा के विषय बदल गये हैं, और कुछ नहीं।
14.
इस रत्न-कोष पर दुहरे ताले जड़े हुए हैं ताकि अधिकारी लोग ही खोल सकें ; ले भागू, जल्दबाज, अश्रद्धालु, हरामखोरों की दाल न गलने पाए।
15.
AMतू जहाँ रखेगा वहीँ मेरा घर न लंगोटी की, न खटिया की, न रोटी की फिकर बस तेरी चाकरी करते जाना है दो रोटी से ज्यादा की फिकर करूँ तो बेईमान और खटिया की चिंता करूँ तो अश्रद्धालु ।।
16.
प्रत्येक मनुष्य अपनी भावना के अनुसार ही दूसरों के गुण-अवगुण तौलता है, इसमें उसका दोष ही क्या है, इसलिए भगवान ने अर्जुन को यह उपदेश दिया है कि अश्रद्धालु तथा मुझ में दोष दृष्टि रखने वाले पुरुषों को यह रहस्य मत सुनाना।
17.
ऐसी असफलता के अवसर पर साधक खिन्न, निराश, अश्रद्धालु न हो जाए और श्रेष्ठ साधना मार्ग से उदासीन न हो जाए, इसलिये शास्त्रकारों ने निष्काम कर्म को, निष्काम साधना को अधिक श्रेष्ठ माना है और इसी पर अधिक जोर दिया है।
18.
अविश्वासी, अश्रद्धालु, अस्थिर चित्त के मनुष्य भी यदि गायत्री साधना को नियमपूर्वक करते चलें, तो कुछ समय में उनके यह तीनों दोष दूर हो जाते हैं और श्रद्धा, विश्वास एवं एकाग्रता उत्पन्न होने से सफलता की ओर तेजी से कदम बढने लगते हैं।
19.
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥ प्रत्येक मनुष्य अपनी भावना के अनुसार ही दूसरों के गुण-अवगुण तौलता है, इसमें उसका दोष ही क्या है, इसलिए भगवान ने अर्जुन को यह उपदेश दिया है कि अश्रद्धालु तथा मुझ में दोष दृष्टि रखने वाले पुरुषों को यह रहस्य मत सुनान ा।
20.
मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि कोई भी, किसी भी वर्ग का अश्रद्धालु, शरीयत, कुअरान शरीफ या हिन्दू धर्म ग्रंथों की विवेचना करने का प्रयत्न करे जबकि यह एक महान श्रद्धा का प्रतीक हैं, मगर परस्पर जाने अनजाने में रखी गुस्सा के कारण अधिकतर लोग ऐसा कर रहे हैं!