दो मस्तक चार नेत्र तीन सींग अनेक दाढ़ों पांच पैर दो मूत्रेंद्रिय तथा दो पूँछ वाले अकल्पनीय पशु जन्म लेते हैं और भयावह अश्रव्य वाणी में बोलते हैं
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देर तक अश्रव्य गाली-गलौज करके तथा सूअरिया को पीटकर अब शायद सुखी थक चुका था, इसलिए अपनी छड़ी उसकी पीठ पर तोड़कर बड़बड़ाते हुए वह कोठरी के अंदर चला गया था।
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पता नहीं हृदय के किस किस कोने के कौन कौन से तार झंकृत हो रहे थे, किन्तु) दय में वह अश्रव्य धुन उमड़ी कि संभवतः कुछ वैसी ही धुन में से राग मल्हार उद्भूत हुई होगी।
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प्रेमचंद समाज के आधारभूत स्तर पर सामाजिक जनतंत्र की आंतरिक पगबाधाओं के मानवीय सरोकारों को चिन्हित करते हुए स्वप्न के शोक में बदलते जाने की अदृश्य प्रक्रिया के अश्रव्य हाहाकार को संस्कृति की संवदेना का हिस्सा बना रहे थे।
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६. रूप सृष्टि कण-उपस्थित ऊर्जा एवं परमाणु पूर्व कणों से विभिन्न अद्रश्य व अश्रव्य रूप कण (भूत कण-पदार्थ कण) बने जो अर्यमा (सप्त वर्ण प्रकाश व ध्वनि कण), सप्त होत्र (सात इलेक्ट्रोन वाले असन्त्रप्त) व अष्ट वसु (आठ इलेक्ट्रोन वाले संतृप्त) जैविक (ओरगेनिक) कण थे।
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एक ही जैसे परिवेश में मकड़ी कंपन से निदेशित होती है, मेंढ़क मनुष्य के लिए लगभग अश्रव्य सरसराहट से, चमगादड़ पराश्रव्य ध्वनियों से और कुत्ता मुख्यतः गंधों से (सभी तरह की गंधों से नहीं, अपितु जैव अम्लों की गंधों से, क्योंकि कुत्ते की घ्राणशक्ति फूलों, जड़ी बूटियों, आदि की गंध के मामले में इतनी अधिक तीव्र नहीं होती) ।
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फिर तो यह भी समझ में आया कि बाहर सम्पूर्ण नि: स्वन भी हो तो भ्ी उस छोटे गूँजघर में जो अनुगूँज सुनाई देती है वह सागर की नहीं, अपने ही रक्त-प्रवाह के सूक्ष्म स्वर की अनुगूँज होती है-उस प्रवाह को हम यों नहीं सुन पाते पर कान पर ढँकी हुई सीपी एक ध्वनिविस्तारक गूँजघर का काम देती है और इसलिए जो स्वर बाहर से पूरी तरह अश्रव्य होता है वह भीतर से एक मन्द्र-गम्भीर घोष की तरह बज उठता है।
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| जैसे यह पूरा सौर मंडल एक रास मंडल! एक तारा भी नहीं रहना चाहता अकेलसमूह में रहना सीखा है हमने तारों से सोच में लगाता हुआ अपनी छलाँगें गुज़रता हुआ अदृष्ट प्रकाश रेखाओं के रास्तों में से सुनता हुआ अश्रव्य ध्वनियाँ बचता हुआ उल्काओं से जब लौटा मैं अपने घर बेटा साइकिल निकाल रहा था स्कूल जाने के लिए और नल पर चल रहा था वही सनातन झगड़ा पत्नी थी मशगूल चाय बनाने में अखबार पढ़ते हुए अवस्थित होते हुए अपने छोटे-से काल में मैं सुड़कने लगा चाय।