लोकतंत्र की असली स्वामी बेचारी जनता रँगे सियारों के असली चेहरे नहीं पहचानती, न उसके पास स्रोत हैं, न संसाधन, न समय है, न ऊर्जा।
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भगवान हैं इस जगत के असली स्वामी लेकिन यदि कोई दुष्ट अपने को इस जगत का स्वामी मान बैठे तो बताईये फिर आगे वो कैसे प्रगति कर पायेगा.
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तू कमबख्त इसका अहसान मानने के बजाय हमें यह कह रहा है कि अपने असली स्वामी ही को ला कर तेरी बारहदरी की सजावट बनाएँ? अलादीन यह सुन कर थर-थर काँपने लगा।
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यह कंपनी प्रणाली ऐसी है जिसमें बड़े मैनेजिंग डाइरेक्टर एक सेठ की तरह व्यवहार करते हैं पर इसके लिये उनको राजकीय समर्थन मिला होता है वरना तो कंपनी के असली स्वामी तो उसके शेयर धारक और ऋणदाता होते हैं।
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जिस प्रकार भूमि राज्य या समुदाय (समाज) को उसका असली स्वामी माना गया था ठीक उसी प्रकार समाजोपयोगी सेवाओं की आपूर्ति के पूंजी प्रधान या केन्द्रीकृत संयन्त्रों पर भी गांधी ने सामुदायिक या राज्यगत स्वामित्व का विचार रखा था।
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बताते हैं कि 2005 में पार्टी की एक बैठक में आडवाणी ने जब स्वामी को पार्टी में लाने का विचार रखा था तो स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने कहा था, ' आडवाणी जी, पहले से क्या कम सुब्रमण्यम स्वामी पार्टी में हैं जो आप असली स्वामी को भी लाना चाहते हैं? ' राजनीतिक रूप से स्वामी की लोकप्रियता का बड़ा हिस्सा उनके सोनिया विरोध से आता है।
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व्यक्तिगत स्वामित्व की संस्था का लोप-जिस प्रकार भूमि के मामले में निजी मिल्कियत का निषेध था और आखिरकार राज्य या समुदाय (समाज) को उसका असली स्वामी माना गया था (हां, यह जरूर था कि खुद से खेतीबाड़ी करने वाले किसान को गुजर बसर लायक जमीन की सुनिश्चित उपलब्धता की बात सोची गई थी) ठीक उसी प्रकार व्यापक समाजोपयोगी वस्तुआें की उत्पत्ति या सेवाआें की आपूर्ति के वृहदकार, पूंजीप्रधान या केन्द्रीकृत संयंत्रों या साधनों पर भी गांधी ने सामुदायिक, सामाजिक या राज्यगत स्वामित्व का विचार रखा था ।
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सोसल मिडिया पर स्वामी जी के लिए झगडा करते युवाओं के पोस्ट बहुतायत से मिल जायेंगे जिसमे ज्यादातर मुद्दा हिंदुत्व विरोध या भारत की लूट का होता है और डॉ. स्वामी हिंदुत्व के सारथी की भूमिका में होते है, भारत में 1 करोड ज्यादा भारत स्वाभिमान के सक्रिय कार्यकर्ता है और 10 करोड लोग भारत स्वाभिमान के आन्दोलन से सहमत है, भारत के राष्ट्रवादी विचारधारा के इन लोगो के बीच डॉ. सुब्रहमण्यम स्वामी की तगडी पकड़ है, चाहे भले ही इसके लिए असली स्वामी बाबा रामदेव जी का हाथ हो।
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श्री राम का पुष्पक विमान लेकर शम्बूक को खोजना एक और असत्य कथन हैं क्यूंकि पुष्पक विमान तो श्री राम जी ने अयोध्या वापिस आते ही उसके असली स्वामी कुबेर को लौटा दिया था-सन्दर्भ-युद्ध कांड 127 / 62 जिस प्रकार किसी भी कर्म को करने से कर्म करने वाले व्यक्ति को ही उसका फल मिलता हैं उसी किसी भी व्यक्ति के तप करने से उस तप का फल उस तप कप करने वाले dव्यक्ति मात्र को मिलेगा इसलिए यह कथन की शम्बूक के तप से ब्राह्मण पुत्र का देहांत हो गया असत्य कथन मात्र हैं।