तभी तो जब कोई महान् दानवीर दान करने की उदारता के कारण असीम पुण्य-प्रताप से संयुक्त होने लगता है, तो दान के प्रति उसकी सत्यनिष्ठा, आस्था की असीमितता व पराकाष्ठा का प्रकाश करने हेतु ईश्वर को भी अवतार लेकर पृथ्वी पर आना पड़ा है।
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वह एक साथ स्वप्न और यथार्थ दोनो लोकों में विद्यमान रहता है और आकाक्षा की असीमितता और अनंतता को प्रकट करते हे कहता है-गेंदे के एक फूल में कितने फूल होते हैं पापा? हम समय के जिस हिस्से में रहते हैं वहाँ चीजें इकहरी नहीं हैं, सब एक दूसरे में गुंफित और एक दूसरे को बनाती-बिगाड़ती हुई।