हमेशा काम चलाऊ चीजें मिलीं न अच्छा पहनान अच्छा खाया बस काम चलाया तो अहक जाती नहीं अच्छे को पाने के लिए सदा बेकल रहता हूँ ।
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सर्विस, व्यापार के चक्कर में अपनों से और अपने घर से इतनी दूर हो गए हैं … पैसे, उपहार … चाहे जो भेज दें पर अपने बड़ों के पैर छूने की अहक इस “
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तुक-तुक-3 उनका होना मेरा होना उनके होने-में सब होना जीवन था कुछ और न होना अहक हृदय की मन का कोना पोर-पोर का फटकर रोना अब लगता है उन बिन होना न कुछ होना कुछ न होना।।
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लेकिन मेरी तृष्णा बुझी नहीं है अब तक भुक्खड़ हूँ दरिद्र हूँ मैं जन्म का हूक सी उठती है अच्छी चीजों को देख कर हमेशा काम चलाऊ चीजें मिलीं न अच्छा पहना न अच्छा खाया बस काम चलाया तो अहक जाती नहीं अच्छे को पाने के लिए सदा बेकल रहता हूँ।
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एक चूची को मलते हुए दूसरी पर जब मुंह लगाया तो वह अहक कर बोली, ” चलों किसी खेत में “ ” इसका मतलब है कि तुम पहले ही करवा चुकी हो? “ ” भगवान कसम नहीं! “ ” तब तुमने कैसे कहा कि चलो खेत में? “ ” यहां कोई देख लेगा तो जान मार देगा “ कोई नहीं देखेगा, कहकर मैंने एक हाथ से उसकी चूची को मसलते हुए दूसरे को अपने लन्ड पर रख दिया।