उत्तर पूर्व दिशा (कोण) पृथ्वी तत्व, शिक्षा, आंतरिक ज्ञान व व्यक्तिगत विकास का स्थान माना जाता है।
12.
योग के आंतरिक ज्ञान में आने के बाद जब कभी फ़ुरसत के क्षणों में मैंने इन दो महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार किया ।
13.
गुरु नानक देव जी की यह सीख थी कि जिसने आंतरिक ज्ञान प्राप्त कर लिया, उसे किसी बाहरी ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।
14.
सभी तीर्थंकरों की आंतरिक ज्ञान सही है और हर संबंध में समान है, क्योंकि एक तीर्थंकर की शिक्षाएं किसी दूसरे की विरोधाभासी मे नहीं है।
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सभी तीर्थंकरों की आंतरिक ज्ञान सही है और हर संबंध में समान है, क्योंकि एक तीर्थंकर की शिक्षाएं किसी दूसरे की विरोधाभासी मे नहीं है।
16.
वे पढीलिखी नहीं है लेकिन आत्मज्ञानी है और साधना के मार्ग में तो आंतरिक ज्ञान, अनुभवजन्य ज्ञान ही महत्वपूर्ण होता है, इसमें क्या शक है?
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सभी तीर्थंकरों की आंतरिक ज्ञान सही है और हर संबंध में समान है, क्योंकि एक तीर्थंकर की शिक्षाएं किसी दूसरे की विरोधाभासी मे नहीं है।
18.
श्रीरामकृष्ण परमहंस की तरह वे पढ़े-लिखे तो बहुत सामान्य ही थे, पर उनका आंतरिक ज्ञान छोटी अवस्था से ही प्रकट होने लग गया था।
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वे पढ़ी लिखी नहीं है लेकिन आत्मज्ञानी है और साधना के मार्ग में तो आंतरिक ज्ञान, अनुभवजन्य ज्ञान ही महत्वपूर्ण होता है, इसमें क्या शक है?
20.
जहां पारंपरिक टैरो डेक अधिकतर भविष्यवाणी करने के लिए उपयोग में लाई जाती है, वहीं दूसरी ओर पांचवा टैरो डेक हमारे आंतरिक ज्ञान को प्रकट करने का एक सशक्त माध्यम है।