पैरों की संधियां घुमाने वाले आसन-पंजों की अंगुलियों को खोलना-बंद करना, टखना ऊपर-नीचे करना, टखने को घुमाना, घुटने को आंतरिक बल से खींचना और छोडना।
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सहज भाव से पूरे विश्व का सम्मान पाने वाले इन व्यक्तियों में केवल आंतरिक बल को महसूस किया जा सकता है और जो इतना तेजवान है कि उसकी रोशनी सभी को छूती है।
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नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध निर्माण और इसके फलस् वरूप हजारों आदिवासियों के विस् थापन का विरोध करने के लिए 1989 में बाबा आम् टे ने बांध बनने से डूब जाने वाले क्षेत्र में निजी बल (आंतरिक बल) नामक एक छोटा आश्रम बनाया.