क्या यह सही था? या बेहतर यह होता कि हम भी विरोधी स्वर उठाते और स्पष्टता से कहते कि हमारा मंतव्य कट्टरपंथियों के मंतव्य से भिन्न है, परन्तु हमें भी स्त्री देह को केवल आकर्षक वस्तु के रूप में प्रदर्शित करने पर एतराज है।
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संसार में दो प्रकार की वस्तुएं हैं-अच्छी और आकर्षक | ये दोनों ही मनुष्य द्वारा अपनाये जाने के लिए उसे आकर्षित करती हैं | उसे सोच-विचार कर इन दोनों में से कोई एक वस्तु का चुनाव करना चाहिए | बुद्धिमान व्यक्ति आकर्षक वस्तु की उपेक्षा अच्छी वस्तु का चुनाव करता है, लेकिन मूर्ख व्यक्ति लोभ और आसक्ति के वशीभूत होकर आकर्षक या सुखद वस्तु का चयन कर लेता है और परिणामतः ब्रह्मज्ञान (आत्मानुभूति) से वंचित हो जाता है |