धनभागी हैं वे लोग, जो इस आत्मज्योति को पाये हुए संतों के द्वार पहुँचकर अपनी आत्मज्योति जगाते हैं।
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इस आत्मज्योति से अन्य सब ज्योतियों को देखा जा सकता है, किंतु ये सब ज्योतियाँ मिलकर भी आत्मज्योति को नहीं देख पातीं।
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इस आत्मज्योति से अन्य सब ज्योतियों को देखा जा सकता है, किंतु ये सब ज्योतियाँ मिलकर भी आत्मज्योति को नहीं देख पातीं।
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भय आयेगा तो भयभीत नहीं होंगे वरन् निर्दुःख, निश्चिंत, निर्भय और परम आनंदस्वरूप उस आत्मज्योति से अपने जीवन को भी आनंद से सराबोर कर देंगे।
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इस समय सारे संसार की यह आशा है कि हमारा देश और आपका देश इस क्षेत्र में नेतृत्व करे क्योंकि यहाँ से आत्मज्योति का संदेश उठा है।
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गया से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर निरंजना नदी के पार्श्व में विराजमान बोधगया वही भूमि है जहां करीब 2550 वर्ष पूर्व तथागत को आत्मज्योति की संप्राप्ति हुई।
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गयाजी से तकरीबन 11 किलोमीटर की दूरी पर निरंजना नदी के पार्श्व में विराजमान बोधगया वही भूमि है जहां करीब 2550 वर्ष पूर्व तथागत को आत्मज्योति की प्राप्ति हुई।
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इससे भी आगे यदि बातें आत्माभिव्यक्ति के लिए होती जाएं तो वे अध्यात्म हो जाती हैं, वे आत्मज्योति से शांति एवं संस्कृति का उजाला दिग-दिगंत में प्रसारित करती हैं।
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कुछ पल तू ठहर जाऔर आत्मज्योति जगा लेकिस मुख से जायेगाकैसे नज़र मिलाएगाकुछ अपने लिए भी कर लेकुछ तो सुकून पा ले......शाश्वत सत्य.....लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....
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इससे भी आगे यदि बातें आत्माभिव्यक्ति के लिए होती जाएं तो वे अध्यात्म हो जाती हैं, वे आत्मज्योति से शांति एवं संस्कृति का उजाला दिग-दिगंत में प्रसारित करती हैं।