यह समय आदिम साम्यवाद के टूटने और वर्गीय समाज के अस्तिव में आने का संक्रमण काल था ।
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इस अवस्था को सतयुग पूर्व पाषाण काल (stone age) तथा आदिम साम्यवाद का युग भी कहा जाता है.
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यह शोषण विहीन उन्मुक्त समाज था, जिसे इतिहास में आदिम साम्यवाद अर्थात सतयुग के नाम से जाना जाता है.
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ऐसा लगता है कि भगत सिंह आदिम साम्यवाद से आधुनिक समाजवाद तक समाज के राजनीतिक इतिहास पर कोई किताब या निबंध लिखने की सोच रहे थे।
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उन्होंने पूँजीवादी रावण के चंगुल से सर्वहारा संस्कृति की दुहिता का उद्धार किया! रामायण मानव इतिहास में आदिम साम्यवाद की स्थापना की कहानी है ;
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ऐसा लगता है कि भगत सिंह आदिम साम्यवाद से आधुनिक समाजवाद तक समाज के राजनीतिक इतिहास पर कोई किताब या निबंध लिखने की सोच रहे थे।
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प्यास लगने पर उपलब्ध जल से क्षुधा शांत कर लेता था. यह युग इतिहास में ‘ आदिम साम्यवाद ‘ का युग नाम से जाना जाता है.
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नियोलिथिक (और पेलियोलिथिक) समाजों की स्पष्ट निहित समतावाद की व्याख्या करने वाले सिद्धांतों का निर्माण किया गया है जिनमें से आदिम साम्यवाद की मार्क्सवादी अवधारणा सबसे उल्लेखनीय है.
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सम्बंधों की दुनिया जब धन-सम्पदा और स्वार्थ धुरी पर घूम रही है तब वनस्पति जगत के प्रति मनुष्य का ऐसा संबंध हमें आदिम साम्यवाद में लिये चलता है।
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आदिम साम्यवाद की अवस्था में लौटने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन चूंकि वह हमारी आदिम अवस्था थी, वह हमारी प्राकृतिक संरचना के सर्वाधिक अनुकूल अवस्था थी।