इस समुदाय के पुरूषों द्वारा एक विषेष प्रकार का पोषाक जिसे “ तोलोङ ” कहा जाता है तथा इस क्षेत्र के सभी मुख्य आदिवासी जातियाँ इसे ‘ तोलोङ ' के नाम से जानती है।
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भारत देश के Central Tribal Zone (जनजातीय मध्य क्षेत्र) विषेषतया झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़िसा, प 0 बंगाल आदि के सीमावर्ती पहाड़ी भू-भाग में मुण्डा, हो, खड़िया, संताल, कुड़ुख़ (उराँव) आदि आदिवासी जातियाँ युगों से इस भू-भाग में रह रही हैं।
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(साभार-हिन्दी दैनिक, जनसत्ता दिनांक 23.05.1997) भारत देष में लगभग 559 आदिवासी जातियाँ, अनुसूचित जनजाति की सूची में है (जनगणना रिपोर्ट 1981 के अनुसार) झारखण्ड राज्य में लगभग 30 आदिवासी जातियाँ अनुसूचित जनजाति की सूची में हैं उन 30 जनजातियों में से मात्र 5 जातियाँ की भाषा ही साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रचलन में है तथा राँची विष्वविद्यालय, राँची में जिनकी आई 0 ए 0, बी 0 ए 0 एवं एम 0 ए 0 स्तर पर पढ़ाई-लिखाई चल रही है।
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(साभार-हिन्दी दैनिक, जनसत्ता दिनांक 23.05.1997) भारत देष में लगभग 559 आदिवासी जातियाँ, अनुसूचित जनजाति की सूची में है (जनगणना रिपोर्ट 1981 के अनुसार) झारखण्ड राज्य में लगभग 30 आदिवासी जातियाँ अनुसूचित जनजाति की सूची में हैं उन 30 जनजातियों में से मात्र 5 जातियाँ की भाषा ही साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रचलन में है तथा राँची विष्वविद्यालय, राँची में जिनकी आई 0 ए 0, बी 0 ए 0 एवं एम 0 ए 0 स्तर पर पढ़ाई-लिखाई चल रही है।