हिंसा आदि पाप करने से हमें लोक-परलोक में अनेक आपत्तियां प्राप्त होती हैं और निंदा भी होती है, इसलिए इनको छोड़ना ही अच्छा है।
12.
ग्रह दोषों के अंतर्गत शनि, राहू आदि पाप ग्रहों से सम्बन्धित दोषों के निवारण में बाँसुरी का कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता है.
13.
हम.... पवित्र आत्मा परमेश्वर! पवित्र त्रित्व एक ही परमेश्वर! आदि पाप रहित उत्पन्न मरिया हे स्वास्थ की माता, हमारे लिए प्रार्थना कर।
14.
बल्कि उसने क्या किया? सात संस्कार हैं जो निम्नलिखित हैं-स्नान संस्कार-यह संस्कार मनुष्य को आदि पाप से मुक्त करता और पवित्र कारिणी कृपा में नवजीवन दिलाता है।
15.
लेकिन नये आदम, प्रभु येसु की आज्ञाकारिता और बलिदान द्वारा ईश्वर ने हमें आदि पाप से मुक्त कर दिया और अपने पुत्र और पुत्रियों के समान जीने की स्वतंत्रता दी है।
16.
अगस्टीन का विश्वास था कि प्रभु येसु ख्रीस्त की कृपा मानव स्वतंत्रता के लिये अपरिहार्य थी इसीलिये उन्होंने आदि पाप एवं न्यायसंगत युद्ध की संकल्पनाओं की रचना कर उनका प्रस्ताव किया था।
17.
देव पूजा में शुभ राग की मुख्यता रहने से पूजक अशुभ राग रूपी तीव्र कषाय आदि पाप से बचा रहता है तथा सामाजिक विषय वासना के संस्कार भी समाप्त हो जाते हैं ।
18.
कुंडली में गुरु षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश होकर, या नीच आदि पाप प्रभाव में होकर पडा हो, या मानसिक बीमारी हो तों इसका प्रयोग बहुत लाभ कारी होता है.
19.
आश्चर्यकी बात है कि व्यापार आदिमेँ बेईमानी, झूठ-कपट करनेमेँ शर्म नही, गर्भपात आदि पाप करनेमेँ शर्म नहीँ आती, चोरी, विश्वासघात आदि करते समय शर्म नहीँ आती, पर चोटी रखनेमेँ शर्म आती है!
20.
उच्श्रंखल मनुष्य में झूट, कपट, चोरी-जारी, हिंसा आदि पाप कर्मों की एवं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार आदि अवगुणों की वृद्धि होकर उस का पतन हो जाता है, जिसके परिणाम में वह और महा दुखी बन जाता है.