आध्यात्म विद्या के आचार्यों ने इस तथ्य को भली प्रकार अनुभव किया है और अपनी साधनाओं में सर्व प्रथम स्थान आत्मज्ञान को दिया है ।
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और इस प्रक्रिया के लिए लिए आवश्यक साधना के अधिपति गणपति | भारतीय आध्यात्म विद्या में आगम व निगम की दोनों विधियो की मान्यता है।
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जिन्होंने आध्यात्म विद्या के परम शास्त्र श्रीमद्भगवद् गीता को पढ़ा है, वे जानते हैं कि गीता का गायन दोनों सेनाओं के मध्य में हुआ था।
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वहाँ आध्यात्म विद्या (Theology) से जुड़ जाने के कारण इसमें अमूर्तता (Abstraction) आई और फिर इसका रूप कठिन होता गया और भय का रूप लेता चला गया....
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इस किताब के विभिन्न प्रकार के तर्कों ने, और मैं यह भी कहूँगा कि उनकी प्राकृतिक आध्यात्म विद्या ने मुझे यूक्लिड जैसा ही आनन्द प्रदान किया।
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आध्यात्म विद्या को एक समग्र साईंस ही कहना चाहिए, जिसके नियम और प्रयोजनों को समझकर तदनुकूल चलने से ही किसी प्रकार का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
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आध्यात्म विद्या को एक समग्र साईंस ही कहना चाहिए, जिसके नियम और प्रयोजनों को समझकर तदनुकूल चलने से ही किसी प्रकार का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
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वहाँ आध्यात्म विद्या (Theology) से जुड़ जाने के कारण इसमें अमूर्तता (Abstraction) आई और फिर इसका रूप कठिन होता गया और भय का रूप लेता चला गया....
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चक्रभेदन विद्या में पारंगत होने के बाद आध्यात्म विद्या सीखने के लिए अनिवार्य माने जाने वाले कठोर सिद्धान्तों और कठिन जीवन शैली को आपने सरल और सुगम बनाया ताकि साधारण जनमानव भी इससे लाभान्वित हो सके।
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आज जिस प्रकार भौतिक तत्वों के अन्वेषण से योरोप में नित्य नये वैज्ञानिक यंत्रों का आविष्कार हो रहा है उसी प्रकार अब से कुछ सहास्रब्दियों पूर्व भारत वर्ष में आध्यात्म विद्या और ब्रह्मविद्या का बोलवाला था।