| 11. | फिर आन्त्र के उपकला ऊतक की कोशिका से केन्द्रक निकाल कर उस अण्ड में प्रवेष कराया।
|
| 12. | पाचक गड़बडियाँ, आन्त्र विषाक्तता तथा एक विकृत तन्त्रिकीय स्थिति प्रायः लघुअपस्मार के मुख्य कारण होते हैं।
|
| 13. | प्रदाहक आन्त्र रोग का इष्टतम उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि इसका रूप क्या है.
|
| 14. | अग्याशय, गर्भाशय तथा बडी आन्त्र के कुछ हिस्सों को भी यही चक्र नियंत्रित करता है ।
|
| 15. | प्रदाहक आन्त्र रोग का इष्टतम उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि इसका रूप क्या है.
|
| 16. | ंत्रिय समस्याएँ, उद्दीप्य आन्त्र सहलक्षण, श्लीपद एवं स्त्रीरोगों को जड़ से नष्ट करने में मदद करती हैं।
|
| 17. | इस चूर्ण के सेवन करने से आन्तों में पैदा होने वाले सभी प्रकार के कीड़े, आन्त्र कृमि
|
| 18. | ऊतकप्लाविका द्वारा विष उत्पन्न किए जाते हैं, जिनके कारण हिस्टोप्लाज्मोसिस नामक आन्त्र रोग होता है, जो एक आईबीडी (
|
| 19. | चिकित्सा शास्त्र में, प्रदाहक आन्त्र रोग (आईबीडी (IBD)) बृहदान्त्र और छोटी आंत की प्रदाहक दशाओं का एक समूह है.
|
| 20. | कैल्सिट्रिऑल, विटामिन डी का उत्प्रेरित रूप, कैल्शियम के आन्त्र अवशोषण तथा फॉस्फेट के वृक्कीय पुनरवशोषण को प्रोत्साहित करता है.
|