भाजपा और विहिप मिलकर अगर अपने हिंदू वोटों को पक्का करना चाहते हैं तो सपा अपने मुस्लिम वोटों को! वरना क्या वजह है कि दोनों पक्षों ने मुठभेड़ का नाटक रचाया? सपा के कुछ मुस्लिम नेताओं का विहिप और मुलायम की भेंट पर ही आपत्ति उठाना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
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जो कार्यक्रम गुलजार साब की काव्य यात्रा को केन्द्रित बनाकर आयोजित किया गया हो वहाँ कोई एक नौसिखिये की तरह उनके फिल्मी गीतों की चर्चा छेड़ दे और वह भी कजरारे और बीड़ी जलाये ले जैसे गीत जो कि विशुद्ध रुप से फिल्म में निर्देशक द्वारा दी गयी सिचुएशन के अनुसार रचे गये हों तो कवि का ऐसे आदमी की नासमझी पर आपत्ति उठाना बिल्कुल वाजिब है।
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जब हिन्दूवादी संगठनों ने इस पर आपत्ति उठाना शुरु किया तब हलचल मची, इस बीच 1990 में अंजुमन ने इस भूमि पर पक्का निर्माण कार्य लिया, जिसने आग में घी डालने का काम कर दिया, और जब सरकार ने इस निर्माण कार्य को अतिक्रमण कहकर तोड़ने की कोशिश की तब मामला न्यायालय में चला गया, फ़िर जैसा कि होता आया है हमारे देश के न्यायालय न्याय कम देते हैं “
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5 तारीख (सितम्बर) को देगंगा के काली मन्दिर के पास खुली ज़मीन, जिस पर दुर्गा पूजा का पंडाल विगत 40 वर्ष से लग रहा है, को लेकर जेहादियों ने आपत्ति उठाना शुरु किया और उस ज़मीन की खुदाई करके एक नहर निकालने की बात करने लगे ताकि पूजा पाण्डाल और गाँव का सम्पर्क टूट जाये जिससे उस ज़मीन पर अवैध कब्जे में आसानी हो, उस वक्त स्थानीय पुलिस ने उस समूह को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया।
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5 तारीख (सितम्बर) को देगंगा के काली मन्दिर के पास खुली ज़मीन, जिस पर दुर्गा पूजा का पंडाल विगत 40 वर्ष से लग रहा है, को लेकर जेहादियों ने आपत्ति उठाना शुरु किया और उस ज़मीन की खुदाई करके एक नहर निकालने की बात करने लगे ताकि पूजा पाण्डाल और गाँव का सम्पर्क टूट जाये जिससे उस ज़मीन पर अवैध कब्जे में आसानी हो, उस वक्त स्थानीय पुलिस ने उस समूह को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया।
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जब हिन्दूवादी संगठनों ने इस पर आपत्ति उठाना शुरु किया तब हलचल मची, इस बीच 1990 में अंजुमन ने इस भूमि पर पक्का निर्माण कार्य लिया, जिसने आग में घी डालने का काम कर दिया, और जब सरकार ने इस निर्माण कार्य को अतिक्रमण कहकर तोड़ने की कोशिश की तब मामला न्यायालय में चला गया, फ़िर जैसा कि होता आया है हमारे देश के न्यायालय न्याय कम देते हैं “स्टे ऑर्डर” अधिक देते हैं, मामला टलता गया, गरमाता गया, साम्प्रदायिक रूप लेता गया।