अपने प्रेरणा स्त्रोतों में उस गांधी को भी गिनने वाली कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व वाली यूपीए सरकार अगर अपने कामकाज में सचमुच सादगी बरतना चाहती है तो सबसे पहले उसे इसको एक साल के आपातकालीन उपाय के रूप में लेना बंद कर देना चाहिए ।
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सरकार के इस निगरानी तंत्र के बारे में अब बहुत सारे आज़ादी के पक्षधर सामने आ जायेंगें और सरकार पर आपातकालीन उपाय करने के आरोप लगाने लगेंगे पर आज की परिस्थितियों को देखते हुए अब यह बहुत आवश्यक हो गया है कि देश में किसी भी तरह की अफ़वाह फ़ैलाने के लिए कम से कम सोशल मीडिया का दुरूपयोग करने की स्थिति में सरकार के पास उस पर नज़र रखने के लिए कोई व्यवस्था अवश्य हो.