एक दिन उसके आदमियों ने जोधपुर के महलों में घुसकर राजा मानसिंह के प्रधानमंत्री इन्द्रराज सिंघवी तथा राजा के गुरु आयस देवनाथ की हत्या कर दी।
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असल में यह मंदिर महाराजा मानसिंह द्वारा अपने गुरु आयस देवनाथ जी के लिए बनवाया गया था और देवनाथ जी नाथ सम्प्रदाय की जलंधरनाथ पीठ के प्रमुख पुजारी थे.
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इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा...”।
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इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा...”।
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1872 को आयस देवनाथ जी के साथ किले जोधपुर में नवाब मीरखांजी के आदमियों के हाथ से काम आये, उनके नत्थूसिंघ, उनके अनाड़सिंघ उनके भैरूसिंघ उनके हणवतसिंघ जो अब तिंवरी के पिरोयत है।
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मानसिंह के काल में मारवाड़ में नाथ सम्प्रदाय के जोगड़ों का प्रभाव अत्यन्त बढ़-चढ़ गया क्योंकि नाथों के गुरु आयस देवनाथ ने मानसिंह के दुर्दिनों में भविष्यवाणी की थी कि मानसिंह एक दिन जोधपुर राज्य की गद्दी पर बैठेगा।
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इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा … ' ' संपादक की भरसक कोशिशों के बावजूद अखबार लंबा न खिंच सका.
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……… देश के सत्य समाचार हिन्दुस्तानी लोग देखकर आप पढ़ ओ समझ लेंय ओपराई अपेक्षा जो अपने भावों के उपज न छोड़े, इसलिए बड़े दयावान करुणा ओ गुणनि के निधान सबके विषय श्रीमान् गवरनर जेनेरल बहादुर की आयस से अैसे चाहत में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठांटा ………
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इसलिए दयावान करुणा और गुणनि के निधान सब के कल्यान के विषय गवरनर जेनेरेल बहादुर की आयस से ऐसे साहस में चित्त लगाय के एक प्रकार से यह नया ठाट ठाटा … इस पत्र में ब्रज और खड़ीबोली दोनों के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक और संपादक युगलकिशोरजी मध्यदेशीय भाषा कहते थे.
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गाडगे बाबा की अमिट छाप उन के बोलने-बैठने की हूबहू स्टाइल सहित-' बाबू रे, झोपन भागते का? अथीसा झाडाले भिडान तर कामाकडे कोन पाहीन! जा, चुलान धडकवा, सैपाकाचे मान्स कामाले भिडवा, चाला, आयस करू नोका! ' गोनीदा ने उपन्यासों में नारी को सदैव सबला के रूप में ही पेश किया है।