भारत में सांसदों-विधायकों के पास नव्य आर्थिक उदारतावाद के जमाने में जितनी तेजगति से व्यक्तिगत संपत्ति जमा हुई है वैसी पहले कभी जमा नहीं हुई थी।
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भारत में सांसदों-विधायकों के पास नव्य आर्थिक उदारतावाद के जमाने में जितनी तेजगति से व्यक्तिगत संपत्ति जमा हुई है वैसी पहले कभी जमा नहीं हुई थी।
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आर्थिक उदारतावाद के दौर में भारत ने जब कदम रखे तब यह जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित किया गया कि इससे सामाजिक समरसता बढ़ेगी और सभी वर्गों का जीवन खुशहाल बनेगा.
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दूसरी ओर यह कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व की भी समस्या है कि उनके यूपीए गठबंधन में एक ऐसा दल सरकार में है जो नव्य आर्थिक उदारतावाद की एक महत्वपूर्ण नीति, राष्ट्रीय सेज नीति, को नहीं मानता तो क्या राजनीतिक तौर पर ऐसे दल को केन्द्र सरकार में रखना सही होगा?