और चूंकि भारत की जलवायु कृषि के अनुकूल थी, इसीलिए आर्य जन कृषि विज्ञान में पारंगत थे, और कृषि में गाय को सर्वाधिक महत्व दिया गया..
12.
इस प्रकार का चिंतन एक व्यक्तिगत पांडित्य विहीन प्रयास मात्र है. विद्वत आर्य जन ऐसे विषयों मे रुचि ले कर इस सामग्री को एक परिमार्जित रूप दें, ऐसी मेरी इच्छा है..
13.
बात तो वही पुरानी है कि आर्य जन मध्येशिया से आए, फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है कि सप्तसिंधु को लेकर जो संशय था उस के लिए उन्होने एक नई अवधारंणा पेश की है।
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विभिन्न सन्दर्भों के आधार ॠग्वैदिक परिधानों के विषय में यह कहा जा सकता है कि आर्य जन सामुदायिक रुप से धर्मनिष्ठ एवं प्रवृति से नैतिक होते हुये भी व्यक्तिगत जीवन में सौन्दर्य के प्रति सजग रहते थे ।
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श्री भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा-हे अर्जुन-इस विषम अवसर पर तुम्हारे मन में यह कल्मष कहाँ से आ गया? यह आर्य जन द्वारा किया जाने योग्य आचरण नहीं (या-यह अनार्य जन द्वारा किया जाने वाला आचरण है), यह स्वर्ग को नहीं दिलाएगा, और तुम्हारी बदनामी भी कराएगा हे अर्जुन |