| 11. | सरस्वती बिना आलम्ब की हो गयी हैं और सभी पंडित खंडित हैं ।)
|
| 12. | एक लोहे के डंडे को आलम्ब देकर उसने साइकिल को खड़ा किया है.
|
| 13. | मुतक्का यानी आलम्ब या सहारा भी इसी क़तार में खड़ा नज़र आता है ।
|
| 14. | मुतक्का यानी आलम्ब या सहारा भी इसी क़तार में खड़ा नज़र आता है ।
|
| 15. | मुतक्का यानी आलम्ब या सहारा भी इसी क़तार में खड़ा नज़र आता है ।
|
| 16. | आलम्ब के दूसरी ओर ढेंका का छोटा हिस्सा होता जिसपर पैर रखकर नीचे दबाया जाता था।
|
| 17. | आलम्ब के दूसरी ओर ढेंका का छोटा हिस्सा होता जिसपर पैर रखकर नीचे दबाया जाता था।
|
| 18. | वंशगत पहचान जन्मगत थी जबकि वर्ण जाति-व्यवस्था का आलम्ब कर्म आधारित था पर शनैः शनैः यह भी जन्मगत् हो गया।
|
| 19. | (आज जब भोजराज धरती पर स्थित हैं तो धारा नगरी सदाधारा (अच्छे आधार वाली) है; सरस्वती को सदा आलम्ब मिला हुआ है; सभी पंडित आदृत हैं।)
|
| 20. | ढेंका के रूप में लकड़ी का एक लम्बा सुडौल बोटा दो खूंटों के बीच क्षैतिज आलम्ब पर टिका होता था जो लीवर के सिद्धान्त पर काम करता था।
|