संस्कृत का आवलि शब्द वल् धातु से बना है जिसमें जाने का, गति का, आगे बढ़ने का, मुड़ने का, घेरने, लुढ़कने, लुढ़काने का भाव है।
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ऋणाग्र किरणों की एक आवलि को 50 हजार वोल्ट तक त्वरित किया जाता है और फिर उसको एक तनुपट नलिका (डायाफ्राम ट्यूब) में से निकालकर इलेक्ट्रानों की एक संकीर्ण किरणावलि से परिवर्तित किया जाता है।
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ऋणाग्र किरणों की एक आवलि को 50 हजार वोल्ट तक त्वरित किया जाता है और फिर उसको एक तनुपट नलिका (डायाफ्राम ट्यूब) में से निकालकर इलेक्ट्रानों की एक संकीर्ण किरणावलि से परिवर्तित किया जाता है।
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ऐसे असंख्यात समयों की एक आवलि, संख्यात आवलियों का एक उच्छ्वास, सात उच्छ्वासों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव, ३८ १/२ लवों की एक नाली, २ नालियों का एक मुहूर्त और ३० मूहूर्त का एक अहोरात्र होता है।