उनको ' चंद्रशेखर ' भी कहलाया जाना (तस्वीरों में शिव के मस्तक पर चन्द्रमा और पवित्र गंगा नदी का भी दर्शाया जाना) पुष्टि करता है पृथ्वी से आशय होना योगियों का संकेतों द्वारा,,, और जिनके शरीर में श्मशान की राख से अर्थ पृथ्वी की सतही धूल से है, और हिमालयी जंगल में वर्तमान में भी उपलब्ध लताओं, वृक्ष आदि उनकी ' जटा जूट ' से!