बुधवार को फुटबॉल वर्ल्ड कप होस्ट करने वाले शहर बेलो हॉरीजोन्टे का अम्बैस्डर चुने जाने के बाद बोल रहे रोनाल्डिन्हो ने अपने जल्द वापसी की आशा करते हुए कहा कि मेरी चोट अब ठीक हो रही है।
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बुधवार को फुटबॉल व र्ल्ड कप होस्ट करने वाले शहर बेलो हॉरीजोन्टे का अम्बैस्डर चुने जाने के बाद बोल रहे रोनाल्डिन्हो ने अपने जल्द वापसी की आशा करते हुए कहा कि मेरी चोट अब ठीक हो रही है।
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अपने बच्चे के सुखमय भविष्य के साथ अपने आने वाले दिनों की बेहतरी की आशा करते हुए महिला कहती है-तेरे इन छोटे-छोटे हाथों की मुट्ठियों में मेरे सुखी दिन रखे हुवे हैं, तेरी इन प्यारी छोटी छोटी आँखों में मेरे सपने छुपे हुए हैं।
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अपने बच्चे के सुखमय भविष्य के साथ अपने आने वाले दिनों की बेहतरी की आशा करते हुए महिला कहती है-तेरे इन छोटे-छोटे हाथों की मुट्ठियों में मेरे सुखी दिन रखे हुवे हैं, तेरी इन प्यारी छोटी छोटी आँखों में मेरे सपने छुपे हुए हैं।
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” जो व्यक्ति शबे क़द्र में अल्लाह पर विश्वास तथा पुण्य की आशा करते हुए रातों को तरावीह (क़ियाम करेगा) पढ़ेगा, उसके पिछ्ले सम्पूर्ण पाप क्षमा कर दिये जाएंगे ” (बुखारी तथा मुस्लिम) यह महान क़द्र की रात कौन सी है?
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हर धर्म-सम्प्रदाय के त्यौहार हैं तो चार माह तक चलने वाले महाकुंभ भी … जब कुंभ नहीं तब भी पुष्कर से लेकर प्रयाग तक कितने ही घाटों में जनसमुदाय वर्ष में कितनी ही बार दूषित जल में डुबकी लगा पाप-प्रक्षालन की आशा करते हुए परलोक सुधरने का भ्रम पालता है।
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मुद्दे की बात यह है कि अब अप्रेल तक आपसे दूर रहूँगा. और तब तक आपसे उम्मीद करता हूँ कि आपमें कोई मुझे यह बताए कि मेरी नई पोस्ट्स मेरे अनुसरण कर्ताओं के ब्लॉग पर अप डेट नहीं हो रही है...आपकी शुभकामनाओं और समाधान कि आशा करते हुए विदा लेता हूँ
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आदरणीया निशा जी, सब एक सार्थक बदलाव की आशा करते हुए ……. मैं भी …….. आप भी ……… हर आम आदमी!! अन्ना हज़ारे जी में सबको अपना चेहरा नज़र आ रहा है ……. बेबस, लाचार चेहरा ……. जो यह भी नहीं नहीं समझ पा रहा था कि शुरुआत कहाँ से की जाये …..
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आँख खुलने पर ही तो पता चलेगा ना कि सुबह हो गई जिस अंग में आँखें ही नहीं उसके लिए बधिरांधकार ही आनंद है आँतों को ही नहीं दिल को भी उखाड़ते हुए बदन में अंधेरा सीधे खंता बन धँस जाता है गलत मत समझना, कीड़ों से कीटनाशन की आशा करते हुए मृत् यु से अमृत माँगते हुए जानवरों से जानवरों का बहिष् कार कौन करता है?
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मुझे लगता है कहीं न कहीं हम सब धोखेबाज़ हैं एक तरफ हम बेटे से भविष्य की उम्मीद की आशा करते हुए उसे सब कुछ देते हैं वहीं घर में सबसे कमज़ोर, अपनी ही जाई को सिर्फ शादी करके, अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, यह इस सबसे प्यारी और मासूम, जो कि जीवन भर अपने पिता और भाई के मुंह को देखती रहती है, के प्रति नाइंसाफी है!