(सुरंगों वाले छोटे बड़े बांधों का विरोध हर हाल में करना ही चाहिए लेकिन इस विरोध में धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास और आस्थावाद के तर्क को कोई नरम सा भी कोना देने की नादानी नहीं की जा सकती या जोखिम कतई नहीं उठाया जा सकता-क्योंकि अंतत: हम सब जानते हैं आज का आस्थावाद कल की सांप्रदायिकता है और वो कहीं व्यापक जहर फैलाएगी)
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(सुरंगों वाले छोटे बड़े बांधों का विरोध हर हाल में करना ही चाहिए लेकिन इस विरोध में धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास और आस्थावाद के तर्क को कोई नरम सा भी कोना देने की नादानी नहीं की जा सकती या जोखिम कतई नहीं उठाया जा सकता-क्योंकि अंतत: हम सब जानते हैं आज का आस्थावाद कल की सांप्रदायिकता है और वो कहीं व्यापक जहर फैलाएगी)
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(सुरंगों वाले छोटे बड़े बांधों का विरोध हर हाल में करना ही चाहिए लेकिन इस विरोध में धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास और आस्थावाद के तर्क को कोई नरम सा भी कोना देने की नादानी नहीं की जा सकती या जोखिम कतई नहीं उठाया जा सकता-क्योंकि अंततः हम सब जानते हैं आज का आस्थावाद कल की सांप्रदायिकता है और वो कहीं व्यापक जहर फैलाएगी) और कोई हैरानी न होगी जो इनमें से कोई धन्यभाग जलबिजली परियोजनाओं के एवज में परमाणु ऊर्जा का विकल्प उत्तराखंड के लिए पेश कर दे.
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(सुरंगों वाले छोटे बड़े बांधों का विरोध हर हाल में करना ही चाहिए लेकिन इस विरोध में धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास और आस्थावाद के तर्क को कोई नरम सा भी कोना देने की नादानी नहीं की जा सकती या जोखिम कतई नहीं उठाया जा सकता-क्योंकि अंततः हम सब जानते हैं आज का आस्थावाद कल की सांप्रदायिकता है और वो कहीं व्यापक जहर फैलाएगी) और कोई हैरानी न होगी जो इनमें से कोई धन्यभाग जलबिजली परियोजनाओं के एवज में परमाणु ऊर्जा का विकल्प उत्तराखंड के लिए पेश कर दे.