तो लामुहाला उन्हें इक़रार करना पड़ेगा कि उन्हें अल्लाह तआला ने ही पैदा किया और क्या कारण है कि वो उसकी इबादत नहीं करते और बुतों को पूजते हैं.
12.
जी हाँ, इसके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है और वह शहादतैन (दो गवाहियों) का बोलना अर्थात् “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” और “ मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह ” का इक़रार करना है।
13.
यह भी इक़रार करना होगा कि तौरात में हज़रते नूह की उम्मत के लिये तमाम चौपाए हलाल होना बयान किया गया और हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर बहुत से चौपाए हराम कर दिये गए.
14.
भला इक़रार करना और कराना महदूदुल अक़ल आदमियों की बात है या ख़ुदा की आपस में लहू न बहाना और अपने हम मज़हबों को घर से न निकालना और दूसरे मज़हब वालों का लहू बहाना और घर से उन्हें निकाल देना भला कौन सी अच्छी बात है।
15.
हज़रत अली मुर्तज़ा रदीयल्लाहो अन्हो ने फ़रमाया कि ईमान हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के ज़माने से यही है कि “ ला इलाहा इल्लल्लाह ” की शहादत और जो अल्लाह तआला की तरफ़ से आया है उसका इक़रार करना और शरीअत व तरीक़ा हर उम्मत का ख़ास है.
16.
अल्लाह पर ईमान और एकेश्वरवाद की वास्तविकता (हिन्दी)2013-04-25इस ऑडयिों में उन बातों का उल्लेख किया गया है जिन पर हमारे संदेष्टा मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें ईमान लाने का आदेश दिया है, और उनमें सर्व प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण अल्लाह पर ईमान लाना अर्थात ‘ला इलाहा इल्लल्लाह' का इक़रार करना है।
17.
जब ऐसी बात है तो वह बढ़े और घटे गा, क्योंकि दिल के द्वारा इक़्रार भिन्न भिन्न होता है, किसी सूचना का इक़रार करना किसी आँखों देखी चीज़ के इक़रार के समान नहीं है, तथा एक आदमी की सूचना का इक़रार दो आदमियों की सूचना के इक़रार करने की तरह नहीं है।
18.
(सुनना (س َ م ِ ع ُ وا ْ) पहचानना (ع َ ر َ ف ُ و), इक़रार करना (آم َ ن ّ َ ا), मिल जाना (م َ ع َ الش ّ َ اه ِ د ِ ين َ) ईमान और इक़रार के साथ दुआ भी असर रखती है।