| 11. | ईश्वरकृत ग्रन्थ कैसा होता हैर्षो? इस सम्बन्ध में स्वामीजी ने कुछ पहचान बताई है।
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| 12. | चौथे अध्याय में ईश्वरकृत और जीवकृत दो प्रकार की सृष्टियों का वर्णन किया गया है।
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| 13. | क्या अब भी पवित्र कुरआन को ईश्वरकृत मानने में कोई दुविधा है? see more http://hamarianjuman.blogspot.com/
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| 14. | एक अधीकारी महाशय से कुछ अर्सा हुआ मैं ने दर्याफ़त किया कि आप वेदों को ईश्वरकृत मानते हैं।
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| 15. | कहने वाले कह सकते हैं कि मनुष्य लाखों वर्ष के विकास का फल है, अतएव वह ईश्वरकृत नहीं।
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| 16. | इससे यहाँ यह विदित होता है कि न कुरान ईश्वरकृत और न इसमें कहा हुआ ईश्वर हो सकता है।
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| 17. | इसीलिए मेरी को ईसाई धर्मालम्बी ' वर्जिन मेरी [2] तथा ईसा मसीह को ईश्वरकृत दिव्य पुरुष मानते हैं।
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| 18. | यह माना जाता था विषमता तो प्रकृति की देन है, ईश्वरकृत है और पूर्वजन्म के कर्मों का फल है।
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| 19. | वे चारों वेदों को ईश्वरकृत मानते हैं और किसी मनुष्य को इस विषय में संदेह करने की आज्ञा नहीं देते ।
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| 20. | अछूतपन जैसा हम आज मानते हैं, न पूर्व कर्म का फल है, न ईश्वरकृत है, आज का अछूतपन मनुष्यकृत है, सर्व हिन्दूकृत है।
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