मगर 900-1000 ईसा पश्चात तक आते-आते बौद्ध धर्म बाहरी दुनिया में फला-फूला मगर भारत में मिट गया।
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जिनपति सूरी ने ईसा पश्चात 1168, 1188 व 1192 में इस स्थान की यात्रा की और अनेक लोगों को दीक्षा दी।
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यही वह स्थान है, जहां गुुरु गोविंदसिंह ने संवत् 1762 (ईसा पश्चात 1705) में गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया।
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• ज्यू: और ईसाई व्यक्ति भारत में क्रमश: २ ०० वर्ष ईसा पूर्व और 52 ईसा पश्चात से निवास करते हैं।
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प्राचीन इतिहास से ओतप्रोत मोज़ेल इलाक़ा ईसा पश्चात पहली पांच शताब्दियों तक रोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था और इसके निशान आज भी देखे जा सकते हैं.
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ईस्वी पूर्व 206 से ईसा पश्चात 221 के हान राजवंश काल और ईसा पश्चात 265 से 420 तक के छिन राजवंश काल में घसीट और शीघ्रलिपि शैली का प्रचार बढा.
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ईस्वी पूर्व 206 से ईसा पश्चात 221 के हान राजवंश काल और ईसा पश्चात 265 से 420 तक के छिन राजवंश काल में घसीट और शीघ्रलिपि शैली का प्रचार बढा.
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लेकिन प्राचीन भारत में, विशेषकर ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी से लेकर ईसा पश्चात छठी शताब्दी तक सहकारी संबंधों का जितना विकास हुआ, उतना आगे के वर्षों में न हो सका.
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३००० वर्ष ईसा पूर्व से तकरीबन २००० वर्ष ईसा पश्चात के ५००० सालों मे इन दो सभ्यताओं के अधिकांश बाशिंदों ने सिर्फ़ कृषि आधारित आत्मनिर्भरता ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर घोर गरीबी में निर्वाह किया है!
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अरुण आदित्य-आपकी जो पुरस्कृत कृति “चीनी कविता: ईसा पूर्व ग्यारहवीं सदी से ईसा पश्चात 14 वीं सदी तक है,उसमें आपने 88कविताओं का अनुवाद किया है |इन कविताओं का चयन कैसे किया?