इसमे आपका भी लाभ है एक तो मंदी से फ़िर आपका प्रचार कम होगया जिससे आपकी पेंटिंग कम बिक रही होंगी, यहाँ आते ही जो विवाद होगा उससे आपको प्रचार मिलेगा फ़िर आप अपनी काबिलियत अपनी तशवीरों में उंडेलना बस आपकी मंदी भी दूर और सबका भला ही भला ।
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चाहती थी तुझमे अपना मधुमास गूंथना चाहती थी तुझ संग प्रीत के हिंडोले पर झूलना चाहती थी तुझ संग पीली चदरिया ओढना चाहती थी तुझमे ॠतुराज का हर रंग उंडेलना चाहती थी तेरी चाहत को अपनी वेणी मे संजोना और चाहत सिर्फ़ चाहत ही रह गयी हर बरस ॠतुराज कुछ अंगार ही डाल गया दामन मे मेरे अब देख कितनी संजीदगी से हर अंगार सुर्ख पलाश सा झुलसा रहा है और वो देख दूर खडा ॠतुराज मुस्कुरा रहा है बेबसी की जुबान पर उगते काँटे देखे हैं कभी……