कभी किसी टैंकर में विस्फोट, तो कभी किसी ट्रेन की पटरी का उखड़ जाना, किसी नेता की हत्या, इन सभी के पीछे आतंकवादियों का हाथ होने न होने की संभावना की एनालेसिस ने मुझे वास्तव में थका दिया था।
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(कुछ अरसे या लम्बे अर्से लोगों से ग़ायब रहना)-नेमतें जैसे: दरिया ए नील पार करना, कोहे तूर का उखड़ जाना, मन व सलवा (आसमानी खाना) आना, पानी की बारह नहरे जारी होना........ बनी इसराइल को दी गयी ख़ास नेमते थी।
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यौवन के साथ थोड़ी उच्छृंखलता स्वाभाविक सी मानी जाती है लेकिन साफ सुथरे स्थानों पर पीक मारना, लोगों के मुँह पर धुँआ उड़ाना, स्त्रियों के साथ जुगुप्सित छेड़खानी करना, ताजी बनी दीवार पर भद्दे नारे लिख मारना, सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकना आदि आदि सब को सौन्दर्यबोधी चेतना के अभाव से जोड़ा जा सकता है और अगर कोई बताने का प्रयास करे तो उस पर उखड़ जाना अमानवीयता से।
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-अंबीया का क़त्ल, पैग़म्बरे इस्लाम (स) के आने की ख़बरों को छुपाना, वादों को तोड़ना, आसमानी किताबों में रद्दो बदल करना, शहर में दाख़िल होने से डरना, गौसाला को पूजना, बहाने बाज़ी करना, ख़्वाहिशों पर जान देना, एक नहर का पानी पीने पर सर्ब न करना, उनके बुरे कामों के नमूने और अल्लाह की उन्हे दी हुई सज़ाये, पहाड़ का अपनी जगह से उखड़ जाना, चालीस साल आवारा फिरना, उनका मसख़ (जानवरो की शक्ल में हो जाना) शमिन्दगी.....