शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके पास मौजूद रुपयों में से 75 रुपए के उचंत खाते के पैसे आखिर गये तो गए कहां? इस बात का पता भी मुझे तभी लगा जब उसने एक गाली के साथ कहा भोंसड़ीं के जई 75 रुपिया कहां चले गए, इस दौरान ये पहला ऐसा मौका मैने पाया था जब छन्नू ने प्रश्नवाचक अवस्था में चारों के चेहरे पर बारी बारी से अपनी एक आंख के द्वारा बड़ी ज़ोर देकर देखा था।