ब्रिग्स दूसरी श्रेणी के प्रमाणों पर आधारित काल को उचित काल समझते हैं, पर साथ ही यह स्वीकार करते हैं कि यह अंतिम निर्णय नहीं है।
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ब्रिग्स दूसरी श्रेणी के प्रमाणों पर आधारित काल को उचित काल समझते हैं, पर साथ ही यह स्वीकार करते हैं कि यह अंतिम निर्णय नहीं है।
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अस्सी के दशक में वैसे भी अर्थवान फिल्मों की संख्या आसानी से मुँहजबानी तौर पर गिनी जा सकती है और अस्सी का दशक नवीन निश्चल जैसी अभिनय शैली के लिये बहुत उचित काल नहीं था।
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अस्सी के दशक में वैसे भी अर्थवान फिल्मों की संख्या आसानी से मुँहजबानी तौर पर गिनी जा सकती है और अस्सी का दशक नवीन निश्चल जैसी अभिनय शैली के लिये बहुत उचित काल नहीं था।
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ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध की परिभाषा-' जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है ', श्राद्ध कहलाता है।
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ब्रह्म पुराण ने श्राद्ध की परिभाषा यों दी है, ' जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है।
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दान के अंग दान के छह अंग हैं-दाता, प्रतिग्रहीता (दान देने वाला), श्रद्धा, धर्मयुक्त देय (उचित ढंग से हासिल किया गया धन), उचित काल (सही पर्व योग या संस्कार के समय किया गया दान) और उचित देश-(तीर्थ स्थान वगैरह) ।
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८ ७ (कालज्ञ मन्त्रियों सहित उचित काल में उत्थान का निर्देश?), ३ ७. ३ १ (श्रीकृष्ण पर आक्षेपों के पश्चात् शिशुपाल का अपने आसन से उत्थित होकर सभा से बाहर जाने का उद्योग), वन ३ २. ६ (सब भूतों द्वारा अपने उत्थान को जानने और कर्मों के प्रत्यक्ष फल के उपभोग करने आदि का कथन), ३ २.