बंगाल तथा तत्कालीन पश्चिमोत्तर उच्चतर न्यायालाय इसे पहले ही अस्वीकार कर चुके थे, बाद में मद्रास उच्चतर न्यायालय ने भी इसे नामंजुर कर दिया था जिसके बाद तो यह विवाद का विषय ही नहीं रहा।
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कारणों के बिना उच्चतर न्यायालय के पास कुछ भी ऐसा ठोस नहीं होगा और वह मात्र अनुमान ही लगा सकेगा कि आदेष के क्या कारण रहे हैं एक ऐसा रास्ता जो कि वांछनीय नहीं है।
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बंगाल तथा तत्कालीन पश्चिमोत्तर उच्चतर न्यायालाय इसे पहले ही अस्वीकार कर चुके थे, बाद में मद्रास उच्चतर न्यायालय ने भी इसे नामंजुर कर दिया था जिसके बाद तो यह विवाद का विषय ही नहीं रहा।
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ृगृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि उनका हमेशा से यह यकीन रहा है कि अगर कोई व्यक्ति निचली अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह उच्चतर न्यायालय के पास जाकर राहत पा सकता है।
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अपील और निर्देश में यह भेद है कि निर्देश की याचना नीचे के न्यायालय द्वारा उच्च्तर न्यायालय से की जाती है ताकि विधि या प्रथा के किसी ऐसे प्रश्न का, जिसके संबंध में नीचे के न्यायालय को युक्तियुक्त संदेह हो, उच्चतर न्यायालय द्वारा निर्णय करा लिया जाए।
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अपील और निर्देश में यह भेद है कि निर्देश की याचना नीचे के न्यायालय द्वारा उच्च्तर न्यायालय से की जाती है ताकि विधि या प्रथा के किसी ऐसे प्रश्न का, जिसके संबंध में नीचे के न्यायालय को युक्तियुक्त संदेह हो, उच्चतर न्यायालय द्वारा निर्णय करा लिया जाए।
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४. अपराधी व्यक्ति बौद्धिक जनतंत्र समाज एवं राजनीति के शोधन के लिए अपराधियों को जनतांत्रिक प्रक्रिया से दूर रखने के उद्देश्य से ऐसे किसी व्यक्ति को मताधिकार नहीं देता जो किसी न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित किया जा चुका है जब तक कि वह उच्चतर न्यायालय द्वारा आरोप से मुक्त नहीं कर दिया जाता.
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निर्णय इस बात के आरोप के लिए खुला होना चाहिए कि न्यायिक अधिकारी ने तथ्यों पर दिमाग नहीं लगाया या उसका आदेष मनमाना या स्वैच्छाचारी है ताकि उच्चतर न्यायालय में आदेष की षुद्धता या वैधता की समालोचना की जा सके तथा मात्र यही एक तरीका है जिससे सुनिष्चित किया जा सकता है कि आदेष सही एवं कानून के अनुसार है क्योंकि उसमें कारण / तर्क दिये गये है।