क्या खुब लिखा है आपनें कि शिक्षा के दीपक से तेल निकाल कर ये अपने घर में उजाला करना चाहते हैं फिर चाहे अशिक्षा का अंधेरा ही क्यों न छा जाये ।
12.
मेरी माँ लोरी सुनाते वक्त रोटी खिलाते वक्त मेरे कपड़े पछीटते वक्त और मुझे पीटते वक्त चाहती है कि मैं कपास बन जाऊं मुझे दीपक की बाती बनना है और कुल को उजाला करना है
13.
सच्चा दीपक है, अपने अन्दर के अन्धकार को मिटाकर उजाला करना! जब तक हमारे अन्दर अज्ञानता या कुछेक लोगों के मोहपाश का अन्धकार छाया रहेगा, हम दूसरों के जीवन में उजाला कैसे बिखेर सकते हैं।
14.
क्या तुम जीवन को आसान समझते हो? नही, वह एक कठोर चीज है, बहुत ही कठोर! विश्व अंधेरी रात के समान है जिसमें हर व्यक्ति को स्वयं मशाल बनकर अपने लिए उजाला करना होता है ।