बाज़ार से चीज़े उठाने वाले को उठाईगीर या उठाईगीरा बोलते हैं इसी तरह प्राचीनकाल में भी चोरों के वर्गीकरण के तहत बाज़ार से सामान चुरानेवाले के लिए हट्टचौरकः शब्द है।
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ऐसा लगता है कि हमारी नपुंसक सरकारों ने ठान लिया है कि कानून-व्यवस्था का राज तो उनसे चलेगा नहीं, क्यों न पूरी जनता को चोर, उठाईगीरा, बेईमान और भ्रष्ट बना दिया जाये … है ना मेरा भारत महान!!!
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ज़हीर भाई आपके ब्लॉग पर इंडियन कॉमिक्स का जो खज़ाना पढने को मिलता है वह कहीं और नहीं मिल सकता है. लेकिन अफ़सोस तब होता है जब कोई भी उठाईगीरा आप के ब्लॉग से कॉमिक्स को उठा कर अपने नाम से यहाँ-वहां अपलोड करता घूमता है.मेरा आप को सुझाव है कि जब आप कॉमिक्स को
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दुर्बुद्धि जमात...आलोक जी, आप जिस जमात की बात कर रहे हैं, मुझे ठीक ठीक नहीं पता कि कोई गुंडा, मवाली, मजनू, सडकछाप, उठाईगीरा,अपराधी भी ब्लोग्गिंग कर रहा है कि नहीं मगर अब तक मैंने, समाज का कोई ऐसा वर्ग, कोई ऐसा क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसके प्रतिनिधि आज ब्लोग्गिंग न कर रहे हों, और हां हिंदी में भी ।
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आलोक जी, आप जिस जमात की बात कर रहे हैं, मुझे ठीक ठीक नहीं पता कि कोई गुंडा, मवाली, मजनू, सडकछाप, उठाईगीरा, अपराधी भी ब्लोग्गिंग कर रहा है कि नहीं मगर अब तक मैंने, समाज का कोई ऐसा वर्ग, कोई ऐसा क्षेत्र ऐसा नहीं है जिसके प्रतिनिधि आज ब्लोग्गिंग न कर रहे हों, और हां हिंदी में भी ।