संलाप में वक्ता उत्तम पुरूष एकवचन होता है और श्रोता मध्यम पुरूष, किन्तु यह स्थिति बदलती रहती है।
12.
इस वर्तमान कालिक क्रिया प्रयोग तथा उत्तम पुरूष के बहुवचन में किए गए इस प्रयोग की उन दिनों व्यापक चर्चा हुई।
13.
प्राचीन पालि ग्रंथों में निम्न वर्गों के लोगों ने किसी क्षत्रिय को उसके नाम से या उत्तम पुरूष में संबोधित नहीं किया है।
14.
इस अध्याय में आत्मा की तीन स्थितियों का चित्रण क्षर, अक्षर और अति उत्तम पुरूष के रूप में स्पष्ट किया गया, जैसा इससे पहले किसी अन्य अध्याय में नहीं है।
15.
जीवन जीने की कला के उत्तम पुरूष हंै भगवान श्रीकृष्ण! गोकुल में रास रचाने वाले कृष्ण महाभारत युद्ध के कर्णधार बनकर जो संदेश देते हैं, वह आज भी प्रासंगिक है।
16.
अमेरिका की डेलाबार प्रयोगशाला में पिछले दस वर्षों से निरंतर रिसर्च करते हुए वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि जो उन्नत एवं उत्तम पुरूष हैं उनकी दृष्टि पड़ते ही या उनके वातावरण में आते ही हमारे एक घन मिलीमीटर रक्त में 1500 श्वेतकण निर्मित होते हैं जो आरोग्यता और प्रसन्नता प्रदान करने में सहायक होते हैं।
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अमेरिका की डेलाबार प्रयोगशाला में पिछले दस वर्षों से निरंतर रिसर्च करते हुए वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि जो उन्नत एवं उत्तम पुरूष हैं उनकी दृष्टि पड़ते ही या उनके वातावरण में आते ही हमारे एक घन मिलीमीटर रक्त में 1500 श्वेतकण निर्मित होते हैं जो आरोग्यता और प्रसन्नता प्रदान करने में सहायक होते हैं।
18.
जो उत्तम पुरूष और पुरूषोत्तम था, उसकी इतनी अवमानना, उसका इतना पतन? समस्त वेदों और उपनिषदों में ऐसा एक भी वाक्य नही आया जिसमें मनुष्य के जन्म को पापमूलक बताया गया हो, जिसमें उसका इस प्रकार अपमान किया गया हो, जो अमृत का पुत्र है (श्वन्तु सर्वे अमृतस्य पुत्रा:) वह पाप की संतान कैसे हो गया?
19.
क्षितीश वेदालंकर अपनी पुस्तक ‘ चयनिका ' में पृष्ठ 112 पर लिखते हैं-यह अस्तित्वकाय जितना दृश्यमान जगत है, उसके सबसे उच्च शिखर पर यदि कोई आसीन है, तो वह ‘ मैं ' हूं, ‘ मैं ' उत्तम पुरूष हूं, ‘ मैं ' पुरूषोत्तम हूं, ‘ मैं ' नर के रूप में नारायण हूं, ‘ मैं ' शक्ति का भण्डार हूं।
20.
राकेशनाथ विषय ' गीता कर्मवाद की व् याख् या या कृष् ण का आत् मप्रचा र '' में लिखते हैं गीता में कृष् ण् ने अधिकांश समय आत् मप्रचार में लगाया है, गीता के अधिकांश श् लोकों में ' अस् मद ' शब् द का किसी न किसी विभक्ति में प्रयोगा किया गया है, ' अस् मद ' शब् द उत्तम पुरूष के लिए प्रयोग किया जाता है हिन्दी में इसका स्थानापन् न शब् द ' मैं ' है