' मान्यखेत के राष्ट्रकूटों' की सत्ता के उच्चतम शिखर पर उनका साम्राज्य उत्तरदिशा में 'गंगा' और 'यमुना नदी' पर स्थित दोआब से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक था।
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' मान्यखेत के राष्ट्रकूटों' की सत्ता के उच्चतम शिखर पर उनका साम्राज्य उत्तरदिशा में 'गंगा' और 'यमुना नदी' पर स्थित दोआब से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक था.
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अर्थात सुग्रीव वानरों की सेना को उत्तरदिशा में भेजते हुए कहता है कि ' वहाँ से आगे जाने पर उत्तम समुद्र मिलेगा जिसके बीच में सुवर्णमय सोमगिरि नामक पर्वत है।
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अंबोन में अपनी राजधानी के साथ मलूकूक्षेत्र ३०उत्तरीअक्षांश ८, ३००दक्षिणीअक्षांश और १२५०-१३५०पूर्वमध्यरेखा से दूर स्थित है जिसकी सीमाएँ है उत्तरदिशा में-उत्तरमलूकूक्षेत्र दक्षिणदिशा में-टिमोरलैस्टे और आस्ट्रेलिया, पश्चिमदिशा में-दक्षिणीसुलावेशी और केंद्रीयसुलावेशी, पूर्वदिशा में-आईरिंयनजयाक्षेत्र है।
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' मान्यखेत के राष्ट्रकूटों ' की सत्ता के उच्चतम शिखर पर उनका साम्राज्य उत्तरदिशा में ' गंगा ' और ' यमुना नदी ' पर स्थित दोआब से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक था।
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4. बंधु-बांधवों की सेवा-बंधु-बांधवरूपी उत्तरदिशा की पूजा के ये पाँच अंग हैं-1. देने योग्य वस्तु उन्हें देना, 2. उनसे मधुर वचन बोलना, 3. उनके उपयोगी बनना, 4. उनके साथ निष्कपट व्यवहार रखना, 5. समान भाव से बर्ताव करना।
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सोमगिरि की प्रभा से प्रकाशित इस सूर्यहीन उत्तरदिशा में स्थित प्रदेश के वर्णन में उत्तरी नार्वे तथा अन्य उत्तरध्रुवीय देशों में दृश्यमान मेरुप्रभा या अरोरा बोरियालिस नामक अद्भुत दृश्य का काव्यमय उल्लेख हो सकता है जो वर्ष में छ: मास के लगभग सूर्य के क्षितिज के नीचे रहने के समय दिखाई देता है।