यह हिन्दी की वैज्ञानिकता है कि किसी भी विशेषण की उत्तरावस्था / उत्तमावस्था बनाने के लिए उसके साथ तर/तम लगाना इस तरह याद रहता है।
12.
तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-(1) मूलावस्था (2) उत्तरावस्था (3) उत्तमावस्था
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उत्तरावस्था या तुलनात्मक (कंपेरेटिव डिग्री) दो के बीच तुलना यथा अपेक्षा, बेहतर, बदतर, अधिक या कम आदि तथा ३.
14.
नि श्चित ही अच्छा की विशेषण अवस्थाओं को अगर देखें तो विशेषण की मूलावस्था, उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के जो रूप बनेंगे वे अच्छा-बहुत अच्छा-सबसे अच्छा होंगे।
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नि श्चित ही अच्छा की विशेषण अवस्थाओं को अगर देखें तो विशेषण की मूलावस्था, उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के जो रूप बनेंगे वे अच्छा-बहुत अच्छा-सबसे अच्छा होंगे।
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यह हिन्दी की वैज्ञानिकता है कि किसी भी विशेषण की उत्तरावस्था / उत्तमावस्था बनाने के लिए उसके साथ तर / तम लगाना इस तरह याद रहता है।
17.
तुलना की दृष्टि से विशेषणों की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ होती हैं-(1) मूलावस्था (2) उत्तरावस्था (3) उत्तमावस्था (1) मूलावस्था मूलावस्था में विशेषण का तुलनात्मक रूप नहीं होता है।
18.
(2) तत्सम शब्दों में मूलावस्था में विशेषण का मूल रूप, उत्तरावस्था में ‘ तर ' और उत्तमावस्था में ‘ तम ' का प्रयोग होता है।
19.
एतदर्थ उक्त श्रुति के आधार से याग का साध्य, स्वर्ग का साधन अथवा याग की उत्तरावस्था एवं फल की पूर्वावस्था, ये सब एक वस्तु सिद्ध होती हैं, जिसे अतिशय, अपूर्व, या योग्यता कहते हैं।
20.
एतदर्थ उक्त श्रुति के आधार से याग का साध्य, स्वर्ग का साधन अथवा याग की उत्तरावस्था एवं फल की पूर्वावस्था, ये सब एक वस्तु सिद्ध होती हैं, जिसे अतिशय, अपूर्व, या योग्यता कहते हैं।