गॉड पार्टिकल ' ‘ की संज्ञा देकर इसे भौतिकवाद के लिए खतरे के रूप में प्रचारित किए जाने का सवाल है तो इसके पीछे का कारण निर्वात में हिग्स फ़ील्ड की मौजूदगी व इस फील्ड से क्रिया के द्वारा बुनियादी कणों में द्रव्यमान की उत्पत्ति होना है जिसे पदार्थ की उत्पत्ति भी कहा जा सकता है।
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(जिसके पीछे ‘ॐ' शब्द, अर्थात ध्वनि ऊर्जा से साकार सृष्टि की उत्पत्ति होना जाना गया है सिद्धों द्वारा… जबकि आज, वर्तमान में अधिकतर ‘विशेषज्ञों' का समय चल रहा है, अर्थात जो केवल एक विषय पर अधिक से अधिक ज्ञानोपार्जन करते हैं (भले वो ‘आध्यात्म' विषय ही क्यूँ न हो!)… ‘योगी' शब्द ही दर्शाता है शक्ति और (अस्थायी, मिथ्या) साकार शरीर के योग द्वारा बने होने की प्राचीन ज्ञानियों की मान्यता को….
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पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति होना एक विलक्षण, अति दुर्लभ संयोग सा था … पर अथाह बृह्माँड में हो सकता है कि यह विलक्षण, दुर्लभ संयोग कुछ या अनेक जगहों पर हुआ या हो रहा हो … मानवीय दर्शन शास्त्र के अनुसार इस सभी जगहों की चेतना भी अपने अपने विकास की ऐतिहासिक परिस्थितियों के अनुसार ही रूप लेगी … यह भी हो सकता है कि इनमें से कुछ, कई या सभी में ईश्वर की संकल्पना ही न उभरे … ऐसा ही होगा भी, संभावना यही है …