वाकई उत्सव गीत से ब्लॉगोत्सव के नाम को सार्थक करने वाले शास्त्री जी और सलिल जी को बहुत-बहुत बधाई...
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रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और आचार्य संजीव वर्मा सलिल जिन्होनें उत्सव गीत रचकर ब्लोगोत्सव में प्राण फूंकने का महत्वपूर्ण कार्य किया.
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शायद वो फिल्मकार, गीतकार और कलाकार सभी उत्सवों में जीने की इच्छा भी रखते थे इसलिए इतने उत्सव गीत लिखे जा सकें हैं।
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और अब आईये आचार्य संजीव वर्मा सलिल के द्वारा रचित इस उत्सव गीत के साथ हम आज के कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हैं....
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विश्व दीपक-' खट्टा-मीठा ' का चौथा और अंतिम गीत है “ आइला रे आइला ” दलेर मेहंदी और कल्पना पटोवारी की आवाज़ों में जो एक मराठी उत्सव गीत है।
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ब्लोगोत्सव-२ ० १ ० को आयामित करने हेतु किये गए कार्यों में जिनका अवदान सर्वोपरि है वे हैं डा. रूप चन्द्र शास्त्री मयंक और आचार्य संजीव वर्मा सलिल जिन्होनें उत्सव गीत रचकर ब्लोगोत्सव में प्राण फूंकने का महत्वपूर्ण कार्य किया.
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और अब आईये आचार्य संजीव वर्मा सलिल के द्वारा रचित इस उत्सव गीत के साथ हम आज के कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हैं....कल अवकाश का दिन है इसलिए हम पुन: उपस्थित होंगे दिनांक १९.०४.२०१० को प्रात:११ बजे परिकल्पना पर......उत्सव गीत के लिए यहाँ किलिक करें
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आज के इस अवसर पर मुसहर परिवारों द्वारा अपनी लोक संस्कृति के उत्सव गीत-मुसहरहुवा, ककरहुवा एवं बिरहा आदि सांस्कृतिक गीतों से पूरे माहौल को झंकृत कर दिया जिसमे गायक दिनेश कन्नौजिया आदि प्रमुख रूप रहे | इसी कार्यक्रम में समिति द्वारा डा ० राकेश सिंह, प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसनी बडागांव को “ जनमित्र सम्मान ” प्रभारी प्रधानाध्यापक श्री.