अनामिका जी, महाकाव्य काल के धीरोदात्त / धीरललित / धीरप्रशान्त नायक उदारचरित भले हों, पर सत्री के प्रति प्रजातान्त्रिक रुख रखने वाले दोस्त पुरुष तो कत्तई नहीं होते थे।
12.
इस अर्थ में मंडलोई ने अपने परिष् कृत उदारचरित चित् त का फरिचय देते हुए यहाँ प्रकाशित छोटी बड़ी कविताओं में अक् सर मार्मिक और गहरे कथ्य की छानबीन की है.