वास्तव में यदि विशुद्ध उद्भव स्थानों की ताने यथा नाद, गमक, कंठ, जबड़े की ताने शुद्ध उद्भव स्थानों यथा नाभि, छाति, कंठ व मस्तिष्क से व्यक्त हो तो इनका स्वास्थ्य पर आश्यर्चजनक परिणाम होता है तथा प्रत्येक तान अपने उद्भव स्थान के प्रत्येक रोग के लिए श्रेष्ठतम औषधि का कार्य करती है।