घरेलू के साथ-साथ विदेशी कपड़ा खरीदार और परिधान निर्माता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि अंतिम उपभोक्ता कीमत वृद्धि का पूरा भार उठा सकते हैं।
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इसका कारण यह है कि थोक मूल्यों के अनुसार उपभोक्ता कीमत सूचकांकों की जो गणना की जाती है, वह अपने आप में अधूरी और ग़लत है।
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पूरे देश के मजदूरों के लिये एक निर्धारित न्यूनतम वेतन अवश्य होना चाहिये, जो प्रतिमाह 10,000 रुपये से कम नहीं हो सकता, और इसे उपभोक्ता कीमत सूचकांक के साथ जोड़ा जाना चाहिये।
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न्यूनतम वेतन अधिनियम में संशोधन, यह सुनिश्चित करने के लिये कि उसके सभी प्रावधान सर्वव्यापक हों और निर्धारित न्यूनतम वेतन 10,000 रुपये से कम न हो तथा उपभोक्ता कीमत सूचकांक से जुड़ा हुआ हो
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सरकारी कम्पनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) ने कीमत में चार फीसदी वृद्धि की घोषणा करते हुए कहा नई उपभोक्ता कीमत दिल्ली में 39.90 रुपये प्रति किलो और नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा गाजियाबाद में 45.10 रुपये प्रति किलो होगी।
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इस बीच, नागर विमानन मंत्रालय के संयुक्त सचिव एन कन्नन ने कहा कि भारतीय उपभोक्ता कीमत को लेकर काफी संवेदनशील हैं और यही वजह है कि आज घरेलू विमानन बाजार पर 70 प्रतिशत कब्जा बजट विमानन कंपनियों का है।
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उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी जाने वाली उपभोक्ता महंगाई अक्टूबर माह में बढ़कर 10.09 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि सितंबर माह में आई आईपी 2 फीसदी बढ़ा है, जो कि अर्थशास्त्रियों के 3.5 फीसदी के अनुमान से काफी कम है।
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उपभोक्ता कीमत सूचकांक को कसौटी बना कर विचार करें तो अनिवार्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरूप वेतन प्राप्त करने वाले मध्यवर्ग की वास्तविक आय कम हुई और कामगारों की वास्तविक मजदूरी में भी कमी हुई है।
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उपभोक्ता कीमत सूचकांक को कसौटी बना कर विचार करें तो अनिवार्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हुई जिसके परिणामस्वरूप वेतन प्राप्त करने वाले मध्यवर्ग की वास्तविक आय कम हुई और कामगारों की वास्तविक मजदूरी में भी कमी हुई है।
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ट्रेड यूनियनों ने यह मांग की है कि देश में हर जगह मजदूरों के लिये न्यूनतम वेतन प्रतिमाह 10, 000 रुपये निर्धारित किया जाये और उपभोक्ता कीमत सूचकांक के साथ उसे जोड़ा जाये, ताकि मेहनतकश परिवारों को इंसान लायक जिंदगी जीने के लिये पर्याप्त वेतन मिले।