फिर भी, अल्बानिया ने आर्थिक विकास की क्षमता दिखाई है, जबसे अधिक से अधिक व्यापार प्रतिष्ठान यहाँ स्थानांतरित हो रहे हैं और वर्तमान वैश्विक लागत-कटौती के चलते उपभोक्ता वस्तुएँ उभरते बाज़ारी व्यापारियों द्वारा यहाँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
यह जानने के लिए ज्यादा शोध की जरूरत नहीं कि सड़क हम तक प्लास्टिक के सामान, वनस्पती घी, गुटखा, सरस्वती शिशु मंदिर और चीन निर्मित उपभोक्ता वस्तुएँ ला रही है तथा बदले में लकड़ी, घी-दूध, दाल, सब्जी आदि ले जा रही है।
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उनका प्रश्न कुछ इस प्रकार था-‘ माननीय अध्यक्ष महोदय! क्या खाद्य मन्त्रीजी बताने की कृपा करेंगे कि चम्बल-ग्वालियर सम्भाग की, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों तक, खाद्यान्न तथा अन्य उपभोक्ता वस्तुएँ पहुँचाने के लिए किस परिवहन-प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है? '
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माननीय अध्यक्षजी! ग्वालियर और चम्बल सम्भाग के अतिरिक्त प्रदेश में, जिस परिवहन-प्रणाली से, सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की दुकानों पर खाद्यान्न तथा अन्य उपभोक्ता वस्तुएँ पहुँचाई जा रही हैं, उसी परिवहन-प्रणाली से ही यह सब, ग्वालियर-चम्बल सम्भाग स्थित, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर पहुँचाया जा रहा है।
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इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि पटाखों के साथ-साथ साबुन, खाद्य तेल, टूथपेस्ट, तरह तरह की जीवन रक्षक दवाइयां और अन्य कई ऐसी पैक्ड उपभोक्ता वस्तुएँ हैं, जो अपनी वास्तविक लागत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिक रही हैं और निर्माता और विक्रेता मनमाना मुनाफ़ा बटोर रहे हैं.
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चाहे एक पत्थर के टुकड़े को घिस कर चाकू या भाले का रूप देने वाला आदि मानव हो या फिर छेनी-हथौड़ी से पत्थर को विशेष आकार दे कर बड़े-बड़े स्मारक बनाने वाला मध्य युगीन मानव अथवा पत्थर, धातुओं आदि को कूट-पीस या गला कर मनचाहे आकार में ढाल कर तरह-तरह के उपकरण तथा उपभोक्ता वस्तुएँ बनाने वाला आधुनिक मानव, वह आधारभूत रूप से अब भी कच्चे माल के अणुओं एवं परमाणुओं को पुनर्व्यवस्थित करने की प्रक्रिया में ही लगा हुआ है।